एक सूत्र ने बताया, 'लखनऊ में सोमवार को संघ परिवार के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद इस गतिरोध को खत्म करने पर बात हुई।' आरएसएस ने बीजेपी को चेतावनी दी है कि भूमि अधिग्रहण बिल के विरोध में विपक्ष के अभियान से बिहार में बीजेपी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है , जहां इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और ग्रामीण इलाकों से आने वाले हुकुम देव नारायण यादव जैसे नेताओं को इस बिल के रास्ते से रुकावटें हटाने के काम में लगाया जा सकता है । बीजेपी नेताओं में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि ग्रामीण विकास मंत्री बीरेन्द्र सिंह इस मुद्दे पर ज्यादा सक्रियता नहीं दिखा रहे। आरएसएस के पदाधिकारी बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी जोर दे रहे हैं। बिहार में केवल 11 पर्सेंट शहरी आबादी है। इस तरह के अध्यादेश या जमीन से जुड़े मुद्दों को लेकर किसी राजनीतिक अभियान का राज्य पर बड़ा असर पड़ सकता है।
सूत्र ने कहा, 'हमें विश्वास है कि हमारा अध्यादेश न्याय के अनुसार और निष्पक्ष है। हमें यह धारणा तोड़ने पर काम करना होगा कि यह कॉर्पोरेट के हितों को पूरा करता है।' उन्होंने स्वीकार किया कि अध्यादेश को लागू करने से पहले एक 'माहौल' बनाया जाना चाहिए क्योंकि जमीन एक विस्फोटक और भावनात्मक मुद्दा है। उनका कहना था कि पार्टी रोजगार को भी बढ़ाना चाहती है और वह भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
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