लैंड बिल पर हारी बाजी को जीत में बदलने के लिए सरकार ने कसी कमर


अमित शाह और नरेंद्र मोदीबीजेपी ने भूमि अधिग्रहण (संशोधन) बिल को लेकर संघ परिवार के अंदर और बाहर पहुंच बढ़ाने का फैसला किया है। इस बिल को लोकसभा ने पास कर दिया है, लेकिन राज्यसभा में इस पर अभी तक चर्चा भी नहीं हुई है। इसके पीछे ऊपरी सदन में सरकार के पास सांसदों की कमी और इस बिल का जबर्दस्त विरोध होना जैसे कारण हैं। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को मार्गदर्शक मंडल, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं एल के आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात की। विपक्ष बजट सत्र के दौरान इससे जुड़े अध्यादेश का रास्ता रोकने के लिए भी तैयार है। अध्यादेश की अवधि 5 अप्रैल को खत्म हो रही है। 

एक सूत्र ने बताया, 'लखनऊ में सोमवार को संघ परिवार के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद इस गतिरोध को खत्म करने पर बात हुई।' आरएसएस ने बीजेपी को चेतावनी दी है कि भूमि अधिग्रहण बिल के विरोध में विपक्ष के अभियान से बिहार में बीजेपी की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है , जहां इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। 

पार्टी के एक सूत्र ने कहा, 'यह फैसला किया गया है कि इस मुद्दे पर और बातचीत करने की जरूरत है और सहमति की शर्त को छोड़कर किसी अन्य संशोधन पर भारतीय किसान संघ सहित संघ से जुड़े संगठनों के साथ चर्चा की जा सकती है। सहमति की शर्त पर डील नहीं हो सकती। हम मुआवजे की रकम बढ़ाने से जुड़ीं शर्तों पर बात कर सकते हैं।' संसद के पिछले सत्र में लोकसभा में अध्यादेश को पास कराने के दौरान सरकार ने जिन नौ संशोधनों के लिए स्वीकृति दी थी, उनमें से छह के सुझाव संघ से जुड़े संगठनों और पार्टी की आंतरिक कमिटी ने दिए थे। 

परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और ग्रामीण इलाकों से आने वाले हुकुम देव नारायण यादव जैसे नेताओं को इस बिल के रास्ते से रुकावटें हटाने के काम में लगाया जा सकता है । बीजेपी नेताओं में इस बात को लेकर भी नाराजगी है कि ग्रामीण विकास मंत्री बीरेन्द्र सिंह इस मुद्दे पर ज्यादा सक्रियता नहीं दिखा रहे। आरएसएस के पदाधिकारी बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर काफी जोर दे रहे हैं। बिहार में केवल 11 पर्सेंट शहरी आबादी है। इस तरह के अध्यादेश या जमीन से जुड़े मुद्दों को लेकर किसी राजनीतिक अभियान का राज्य पर बड़ा असर पड़ सकता है। 

सूत्र ने कहा, 'हमें विश्वास है कि हमारा अध्यादेश न्याय के अनुसार और निष्पक्ष है। हमें यह धारणा तोड़ने पर काम करना होगा कि यह कॉर्पोरेट के हितों को पूरा करता है।' उन्होंने स्वीकार किया कि अध्यादेश को लागू करने से पहले एक 'माहौल' बनाया जाना चाहिए क्योंकि जमीन एक विस्फोटक और भावनात्मक मुद्दा है। उनका कहना था कि पार्टी रोजगार को भी बढ़ाना चाहती है और वह भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
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